भरी सभा में निर्वस्त्र हुई एक नारी थी कैसी विडंबना, मजबूरी और लाचारी थी भरी सभा में निर्वस्त्र हुई एक नारी थी कैसी विडंबना, मजबूरी और लाचारी थी
सोचा अब तो यह रूह अपनी पहचान कहीं ना कहीं पा लेगी सोचा अब तो यह रूह अपनी पहचान कहीं ना कहीं पा लेगी
अग्नि से ही शुरू होती अग्नि पर ही खत्म होती हम लोगों की जिंदगी। अग्नि से ही शुरू होती अग्नि पर ही खत्म होती हम लोगों की जिंदगी।
कोई तुमको गलत समझे या कोई करे बुराई ना हो बिल्कुल उदास तुम और लड़ती रहो अपनी लड़ाई। कोई तुमको गलत समझे या कोई करे बुराई ना हो बिल्कुल उदास तुम और लड़ती रहो अपनी ...
तुच्छ स्वार्थ हेतु तोड़ना अटूट विश्वास क्या यही प्यार है। तुच्छ स्वार्थ हेतु तोड़ना अटूट विश्वास क्या यही प्यार है।
सीता का सतीत्व, कब तक बचाये नारी। सीता का सतीत्व, कब तक बचाये नारी।